उच्च रक्तचाप(Blood Pressure) क्या है?
हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, धमनी की दीवारों के खिलाफ रक्त प्रवाह द्वारा लगाए गए दबाव की मात्रा है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का निदान किया जाता है, तो इसका मतलब है कि उसके संचार तंत्र (धमनियों) की दीवारों पर लगातार बहुत अधिक दबाव पड़ रहा है। हृदय एक पेशीय अंग है जो हमारे पूरे शरीर में रक्त को तब तक पंप करता रहता है जब तक हम जीवित हैं।
ऑक्सीजन की कमी वाले रक्त को हृदय की ओर पंप किया जाता है, जहां इसकी ऑक्सीजन सामग्री को फिर से भर दिया जाता है। फिर से ऑक्सीजन युक्त रक्त को पूरे शरीर में हृदय द्वारा पंप किया जाता है ताकि हमारी चयापचय गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों और कोशिकाओं को महत्वपूर्ण पोषक तत्व और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके। रक्त का यह पम्पिंग बनाता है- रक्तचाप।
उच्च रक्तचाप के चरण(स्टेज) क्या हैं?
उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन चार अलग-अलग चरणों में श्रेणियां हैं:
स्टेज: 1: प्री-हाइपरटेंशन: जिसमें ब्लड प्रेशर 120/80-139/89 के बीच होता है।
स्टेज: 2: माइल्ड हाइपरटेंशन: जिसमें ब्लड प्रेशर 140/90-159/99 की रेंज में होता है।
स्टेज: 3: मध्यम उच्च रक्तचाप: जिसमें रक्तचाप की सीमा 160/110-179/109 है।
स्टेज: 4: गंभीर उच्च रक्तचाप: जिसमें रक्तचाप 180/110 या उससे भी अधिक हो।
उच्च रक्तचाप(Blood Pressure) क्या है?
हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, धमनी की दीवारों के खिलाफ रक्त प्रवाह द्वारा लगाए गए दबाव की मात्रा है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का निदान किया जाता है, तो इसका मतलब है कि उसके संचार तंत्र (धमनियों) की दीवारों पर लगातार बहुत अधिक दबाव पड़ रहा है। हृदय एक पेशीय अंग है जो हमारे पूरे शरीर में रक्त को तब तक पंप करता रहता है जब तक हम जीवित हैं।
ऑक्सीजन की कमी वाले रक्त को हृदय की ओर पंप किया जाता है, जहां इसकी ऑक्सीजन सामग्री को फिर से भर दिया जाता है। फिर से ऑक्सीजन युक्त रक्त को पूरे शरीर में हृदय द्वारा पंप किया जाता है ताकि हमारी चयापचय गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों और कोशिकाओं को महत्वपूर्ण पोषक तत्व और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सके। रक्त का यह पम्पिंग बनाता है- रक्तचाप।
उच्च रक्तचाप के चरण(स्टेज) क्या हैं?
उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन चार अलग-अलग चरणों में श्रेणियां हैं:
स्टेज: 1: प्री-हाइपरटेंशन: जिसमें ब्लड प्रेशर 120/80-139/89 के बीच होता है।
स्टेज: 2: माइल्ड हाइपरटेंशन: जिसमें ब्लड प्रेशर 140/90-159/99 की रेंज में होता है।
स्टेज: 3: मध्यम उच्च रक्तचाप: जिसमें रक्तचाप की सीमा 160/110-179/109 है।
स्टेज: 4: गंभीर उच्च रक्तचाप: जिसमें रक्तचाप 180/110 या उससे भी अधिक हो।
एक बार जब इसे पूर्व-उच्च रक्तचाप(प्री-हाइपरटेंशन) के रूप में निर्धारित किया जाता है, तो विभिन्न निवारक उपाय और डीएएसएच आहार दृष्टिकोण इसकी आगे की प्रगति में मदद कर सकते हैं, लेकिन कई मामलों में, यह देखा गया है कि पूर्व-उच्च रक्तचाप(प्री-हाइपरटेंशन) के परिणामस्वरूप मध्यम या गंभीर उच्च रक्तचाप हुआ है।
उच्च रक्तचाप के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
उच्च रक्तचाप में, व्यक्ति रक्तचाप की दोनों श्रेणियों में और मुख्य रूप से सिस्टोलिक रक्तचाप में उतार-चढ़ाव का अनुभव करता है। इस स्थिति के लक्षण तभी देखे जा सकते हैं जब रक्तचाप बढ़ना शुरू हो जाए।
कई शोधकर्ताओं का दावा है कि आंखों में खून के धब्बे उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे विकारों से पीड़ित व्यक्ति से संबंधित हैं। हां, यह सच है क्योंकि अनुपचारित उच्च रक्तचाप के साथ-साथ अन्य बीमारियां जैसे कि किडनी या हृदय की समस्याएं आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकती हैं और आंखों की बीमारी का कारण बन सकती हैं।
उच्च रक्तचाप में, आंख के पिछले हिस्से में मौजूद रेटिना की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जहां छवियां दृष्टि के लिए केंद्रित हो रही हैं। इस स्थिति को हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी के रूप में जाना जाता है।
चक्कर आना, सिरदर्द, सांस लेने में कठिनाई, लाली, सीने में दर्द, दृष्टि में बदलाव, नाक से खून बहना, उच्च रक्तचाप के कुछ संकेतक हैं। ये लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं और यह सलाह दी जाती है कि उच्च रक्तचाप का पता लगाने के लिए डिजिटल मशीन या स्फिग्मोमैनोमीटर के माध्यम से रक्तचाप को मापें।
हाई बीपी वाले लोगों के लिए बेस्ट एक्सरसाइज:
उच्च रक्तचाप के कारणों में से एक मोटापा है जो कम या कम शारीरिक गतिविधि और तनाव के परिणामस्वरूप होता है। उच्च रक्तचाप और मोटापे दोनों को दूर करने के लिए लोगों को कम से कम 30-45 मिनट किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए।
उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए ऐसी गतिविधियाँ जो हृदय और साँस लेने की दर जैसे बास्केटबॉल या टेनिस जैसे खेल, सीढ़ियाँ चढ़ना, चलना, टहलना, साइकिल चलाना, तैराकी और नृत्य कर रही हैं, की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है।
रक्तचाप को स्वाभाविक रूप से और जल्दी कैसे कम करें?
प्रकृति में, कुछ ऐसे तत्व उपलब्ध हैं जो उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर रहे हैं। तुलसी, दालचीनी, इलायची, अलसी, लहसुन, अदरक, नागफनी, अजवाइन के बीज, फ्रेंच लैवेंडर, कैट्स क्लॉ कुछ जड़ी-बूटियों और उत्पादों के नाम हैं जो उच्च रक्तचाप से निपटने में उपयोगी हैं।
तुलसी अपनी यूजेनॉल सामग्री के साथ उच्च रक्तचाप में मदद करती है क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं को कसने वाले कुछ पदार्थों के उत्पादन को रोकता है। लहसुन की नाइट्रिक ऑक्साइड सामग्री और अलसी के ओमेगा -3 फैटी एसिड रक्त वाहिकाओं को आराम और फैलाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
उच्च रक्तचाप आहार:
उच्च परिसंचरण तनाव वाले व्यक्तियों को डीएएसएच आहार का पालन करना चाहिए क्योंकि यह उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए आहार संबंधी दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है। इस दृष्टिकोण के तहत, पूरे फल फिट, सब्जियां और कम वसा वाले डेयरी खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है। उच्च संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाया जाता है।
ट्रांस वसा के साथ-साथ उच्च मात्रा में चीनी, नमक और रेड मीट वाले खाद्य पदार्थों पर। साबुत अनाज, नट्स, समुद्री भोजन का भी सुझाव दिया जाता है क्योंकि यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। दोपहर के भोजन और रात के खाने के लिए, मुख्य रूप से सब्जी के व्यंजन और नाश्ते के लिए साबुत फल या सूखे मेवे की सिफारिश की जाती है।
वैरिकोज वेन्स (Varicose Veins) क्या है?
जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
बढ़ती उम्र के साथ नसें लचीलापन खो सकती हैं. इसके चलते नसों में खिचाव पड़ जाता है. ऐसे में नसों का वाल्व कमजोर हो सकता है और दिल की ओर बढ़ने वाला रक्त उल्टी दिशा में बढ़ने लगता है. इस वजह से नसों में रक्त एकत्रित हो जाता है और नसें फूलकर वैरिकोज वेन्स बन जाती हैं. वैरिकोज वेन्स में पैरों की नसों में सूजन आ जाती है, जिसके कारण चलना-फिरना तक मुश्किल हो जाता है. इसमें नसों का आकार बढ़ जाता है, जिससे वे नजर आने लगती हैं. वैरिकोज वेन्स त्वचा की सतह के नीचे उभरती हुई नीली नसें दिखती हैं. इसमें नसों का गुच्छा बन जाता है, यानी ये नसें सूजी और मुड़ी हुई होती हैं, जिसे स्पाइडर वेन्स भी कहते हैं.
कई लोगों के लिए वैरिकोज वेन्स सामान्य समस्या होती है, लेकिन कुछ के लिए इसकी वजह से दर्द होता है और असुविधा होती है जो कि कभी-कभी गंभीर समस्याओं का रूप ले लेती हैं. महिलाओं को वैरिकोज वेन्स होने की आशंका ज्यादा होती है. गर्भावस्था, मासिक धर्म के पहले या मेनोपॉज के दौरान होने वाली हार्मोन के बदलाव जोखिम के कारक हो सकते हैं. अगर परिवार में इसका इतिहास है तो खतरा और भी बढ़ जाता है. यह उन्हें भी प्रभावित करता है जो लंबे समय के लिए खड़े या बैठे रहते हैं.
फाइबर से भरपूर आहार
वैरिकोज वेन्स से छुटकारा पाने के लिए आहार की महत्वपूर्ण भूमिका है. इस स्थिति में फाइबर से भरपूर आहार खाएं. इसमें साबुत अनाज से बने खाद्य पदार्थ, ओट्स, गेहूं, नट्स, मटर, बीन्स, एवोकाडो, टमाटर, ब्रोकली, गाजर, प्याज, शकरकंद, अलसी के बीज आदि शामिल हैं.
नारियल का तेल
नारियल तेल एक एंटी इन्फ्लेमेंटरी एजेंट के रूप में जाना जा सकता है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं. जब इससे मसाज की जाती है तो यह त्वचा के क्षेत्र को पुनर्जीवित करता है, उत्तेजित करता है. नारियल का तेल त्वचा की कोशिकाओं में नमी को बनाए रखने का काम करता है, इसे फैटी एसिड प्रदान करता है, जो सुरक्षात्मक परतों को फिर बनाने में मदद करता है. नारियल तेल की पांच बूंदें और 1 लीटर गुनगुने या ठंडे पानी में डालें और फिर एक कपड़े को भिगोकर इससे प्रभावित क्षेत्र पर लगभग 15 मिनट के लिए सेक करें. इस दौरान पैरों को ऊंचा रखें.
एक्यूपंक्चर
नियमित रूप से किया गया एक्यूपंक्चर वैरिकोज वेन्स के कारण होने वाली असुविधा से बचने में मदद कर सकता है.यह रक्त को उत्तेजित करने और नसों में भेजने में मदद करता है और जमा हुए रक्त को तोड़ता है. सर्कुलेशन को बढ़ाने के लिए वैरिकोज वेन्स के लिए विशेष एक्यूपंक्चर बिंदु भी हैं, जो रक्त के प्रवाह को आसान करता है और दबाव को कम कर होने वाले दर्द को कम करता है.
एप्पल साइडर विनेगर
वैरिकोज वेन्स के लिए एप्पल साइडर विनेगर एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है. यह एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाला होता है जो किसी भी बाहरी सूजन को कम करने में मदद करता है. यह डिटॉक्सीफाई करने के लिए भी आवश्यक है. यह त्वचा की स्थिति में सुधार कर सकता है, सूखापन को रोक सकता है और त्वचा की कोशिका फिर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. वैरिकोज वेन्स पर एप्पल साइडर विनेगर अप्लाई करें और पैर को कपड़े से लपेटें. इसे 30 मिनट तक रखें.
व्यायाम है जरूरी
वैरिकोज वेन्स की समस्या से छुटकारा पाना है या इसके बचना भी है तो व्यायाम एक बेहतरीन घरेलू नुस्खा है. नियमित व्यायाम से पैरों में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है. इससे ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है. ब्लड प्रेशर गड़बड़ाने से वैरिकोज वेन्स की परेशानी शुरू होती है. कम गति वाले व्यायाम जैसे तैराकी, चलना, योग, साइक्लिंग आदि फायदेमंद हो सकते हैं. इस तरह के व्यायाम से पैरों की मांसपेशियों में सुधार होगा और हृदय तक रक्त पहुंचेगा और पिंडली में रक्त इकट्ठा नहीं होगा.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। हेल्थसाइट हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है। इन उपायों पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।)
फैटी लिवर के बारे में जानने से पहले जानते है लिवर के बारे में कुछ facts
1. लिवर मानव शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग होता है। लिवर एक लाल-भूरे रंग का रक्त से भरा अंग है। एक मानव लिवर का वजन सामान्य रूप से लगभग 1.5 किलोग्राम तक होता है, और इसकी चौड़ाई लगभग 6 इंच होती है।
2. लिवर आपके शरीर में लगभग 500 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के कार्य करता है। जैसे रक्त में शुगर को नियंत्रण करना, जहरीले पदार्थों को अलग करना, ग्लूकोज को ऊर्जा में परिवर्तन करना व प्रोटीन पोषण की मात्रा को संतुलन करना।
3. लिवर हमारे शरीर में रक्त बनाने का भी कार्य करता है, और यह काम वह पैदा होने से पहले ही शुरू कर देता है।
4. लीवर को फिर से उत्पन्न किया जा सकता है, 2009 के जर्नल ऑफ सेल फिजियोलॉजी के अध्ययन के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को लिवर प्रत्यारोपण ट्रांसप्लांटेशन) की आवश्यकता होती है, और यदि कोई व्यक्ति अपने लीवर का थोड़ा सा हिस्सा दान करता है, तो यह लगभग दो हफ्तों में अपने मूल
आकार में लौट आता है।
5. लिवर हमारे शरीर का व अंग है, जो सबसे अधिक ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है। लिवर 20.4%, मस्तिष्क 18.4% वही दिल 11.6% ऑक्सीजन का इस्तमल करता है।
6. लिवर हार्मोन्स को तोड़ने में मदद करता हैं। यह एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स को तोड़कर उन्हें पित्त में बदलता है।
7. लिवर एकमात्र ऐसा अंग है, जो पुनर्जीवित हो सकता है।
8. लीवर आपके द्वारा पी गई शराब को तोड़ देती है, ताकि इसे शरीर से बाहर निकाला जा सके, इसे तोड़ने पर एक ऐसा पदार्थ बनता है, जो शराब से भी अधिक हानिकारक होता है। यह पदार्थ लीवर की कोशिकाओं को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है, जिससे लीवर की गंभीर बीमारी उत्पन्न होती है।
9. खट्टे फल जैसे अंगूर, संतरे, नीबू लिवर की सफाई की क्षमता को बढ़ाते हैं।
10. अपने लिवर को तेजी से डिटॉक्स (हानिकारक तत्वों से मुक्ति) करने के लिए आप इन बातों को ध्यान में रख सकते हैं।
a. पहला फाइबर का सेवन ज्यादा करें
b. Afresh का रोजाना सेवन करें
c. लहसुन, हल्दी, नट्स को अपने आहार में शामिल करें
d. हरी सब्जियों का सेवन करें
e. विटामिन सी का सेवन बढ़ाएं
11. अगर आप बहुत ज्यादा दवा Paracetamol/acetaminophen का सेवन लगतार करते है, तो इसका बहुत ज्यादा गलत प्रभाव लिवर पर पड़ता है।
12. जिन लोगों का अधिक वजन होता है, उनके अंदर फैटी लिवर की समस्या बढ़ जाती है। फैटी लीवर को नेस कहा जाता हैं, यानी हेपेटाइटिस की गैर मादक स्थिति।
13. 19 अप्रैल को हर साल विश्व लिवर दिवस (World Liver Day) मनाया जाता है।
Breast Cancer | भारत में हर 8 में से एक महिला स्तन कैंसर का शिकार होती है
स्तन कैंसर ऐसा कैंसर है जो हमारे स्तन से शुरू होता है। इसकी शुरूआत तब होती है, जब हमारी कोशिकाएं ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है।
स्तन कैंसर की कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं जिसे एक्स-रे पर देखा जा सकता है या आप इसे एक गांठ के रूप में भी महसूस कर सकते हैं।
स्तन कैंसर लगभग पूरी तरह से महिलाओं में होता है, लेकिन पुरुषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है।
सीधे शब्दों में समझें तो स्तन में किसी भी तरह की गांठ या सूज कैंसर का रूप ले सकता है।
ऐसे में आपको सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श लेने की ज़रूरत है।
अगर इसके संकेतों के बारे में बात करे, तो आपको स्तन में गांठ, निप्पल के आकार या स्किन में बदलाव, स्तन का सख़्त होना, निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, स्तन या निप्पल पर त्वचा का छीलना, अंडर आर्म्स में गांठ होना स्तन कैंसर के कुछ संकेत हैं।
स्तन कैंसर के प्रकार
1- इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा – इसमें स्तन के ऊतक के अन्य भागों में कैंसर कोशिकाएं मिल्क डक्टस् में बाहर विकसित होती हैं। इन्वेसिव कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
2- इन्वेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा – कैंसर कोशिकाएं लोब्यूल्स से स्तन के ऊतकों तक फैलती हैं जो कि करीब होते हैं। ये इन्वेसिव कैंसर कोशिकाएं शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
स्तन या बाहों के नीचे गांठ होना ।
स्तन के आकार में बदलाव जैसें ऊँचा, टेड़ा-मेड़ा होना ।
स्तन या फिर निप्पल का लाल रंग हो जाना ।
स्तन से खून आना ।
स्तन की त्वचा में ठोसपन हो जाना ।
स्तन या फिर निप्पल में डिंपल, जलन, लकीरें सिकुड़न होना ।
स्तन का कोई भाग दूसरे हिस्सों से अलग होना ।
स्तन के नीचे ठोसपन या सख्त अनुभव होना ।
स्तन की स्व-परीक्षा के पांच चरण
चरण १-
शीशे के सामने खड़े हो कर कंधों को सीधा रखें और दोनों हाथों को कमर से थोड़ा पीछे रखें। अपने स्वयं के स्तनों को देखें
(स्तन के मामले में जागरूकता)
• स्तनों का आकार (Size & Shape) और रंग -
स्तनों का आकार सामान्य और सभी तरफ एक समान होना चाहिए।
कहीं से भी खिंचा हुआ नहीं होना चाहिए
चरण २-
अब अपने हाथों को ऊपर उठाएं और ऊपर की तरह फिर से बदलाव देखें। देखें कि निप्पल या स्तन अंदर खींचे गए हैं या नहीं।
चरण ३-
शीशे के सामने निप्पल को अंगूठे और उंगली से अलग-अलग दबाएं.
अगर निप्पल से लगातार स्त्राव हो रहा हो तो डॉक्टर को दिखाएं
चरण ४-
सीधे सो जाएं। दाएं हाथ से बाएं स्तन की जांच करें और बाएं हाथ से दाएं स्तन की जांच करें।
उंगलियों को सीधा और एक साथ रखते हुए, धीरे से लेकिन हल्के दबाव देकर स्तनों की जांच करें
स्तन के ऊपर और नीचे की तरफ अच्छी तरह से जाँच करें। (कॉलरबोन) पेट के ऊपरी हिस्से तक और बगल से दोनों स्तनों
के बीच तक जाँच करें पूरे स्तन की जांच के लिए नीचे दि गई विधि का प्रयोग करना चाहिए।
निपल्स से शुरू करें। फिर धीरे-धीरे पूरे स्तनों की जाँच करें, बाहर की ओर गोलाई की जाँच करें। फिर उंगलियों को नीचे लेते हुए उंगली से
सीधी रेखा में जाँच करें।
सुनिश्चित करें कि पूरे स्तन की जांच की गई है। त्वचा के नीचे की त्वचा को धीरे से और हल्के से जांचें। धीरे-धीरे दबाव बढ़ाएं। इसका मतलब
है कि पसलियों पर स्तनों की जाँच हाथों से करें ।
चरण ५-
खड़े होकर या बैठकर स्तनों की जांच करें।
नहाने के दौरान स्तनों की त्वचा गीली और चिकनी होती है इस दौरान जांच करना अधिक सुविधाजनक होता है। चौथे चरण में बताए अनुसार पूरे
स्तन की जांच करें।
- डॉक्टर से सलाह लें :
• अगर स्तनों में सूजन या अनियमितता सूजन महसूस हो।
यदि स्तन खिंचे हुए या एक तरफ हिलें हुए महसूस होते हैं या यदि निपल्स अंदर की ओर खिंचे हुए महसूस होते हैं।
• अगर स्तनों पर लाली, दाने या सूजन हो।
स्तनों की स्व-परीक्षा के लिए उपयुक्त अवधि
- महीने में एक बार
• मासिक धर्म के एक सप्ताह के भीतर
यदि किसी महिला को मासिक धर्म नही आता हो तो महीने में किसी निश्चित तिथि को तय करके स्तन की परीक्षा करना हार्मोन की गोलियां लेने के बाद रक्तस्राव बंद होने के एक से दो दिन बाद